श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के तट पर इंदौर से 77 किमी एवं मोरटक्का से 13 किमी की दुरी पर भगवान शिव का श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। यहाँ पर नर्मदा नदी दो भागों में बंट कर मान्धाता या शिवपूरी नामक द्वीप का निर्माण करती है यह द्वीप या टापू करीब 4 किमी लंबा एवं 2 किमी चौड़ा है। इस द्वीप का आकार ओम् अथवा ओमकार के द्रश्य प्रतिरूप समान है।

यहां भगवान शिव के दो मुख्य मंदिर हैं, एक ओंकारेश्वर (जिसका नाम का अर्थ है “ओंकार का भगवान या ओम ध्वनि का भगवान”) जो द्वीप में स्थित है और एक ममलेश्वर (अमलेश्वर) (जिसका नाम का अर्थ है “अमर भगवान” या ” अमरों या देवताओं के स्वामी”) मुख्य भूमि पर नर्मदा नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है।

पौराणिक कथा के अनुसार, विंध्याचल पर्वत श्रृंखला को नियंत्रित करने वाले देवता विंध्य, अपने पापों से खुद को प्रसन्न करने के लिए शिव की पूजा कर रहे थे। उन्होंने रेत और मिट्टी से बना एक पवित्र ज्यामितीय आरेख और एक लिंगम बनाया। माना जाता है कि शिव पूजा से प्रसन्न हुए और दो रूपों में प्रकट हुए, अर्थात् ओंकारेश्वर और अमलेश्वर। चूंकि मिट्टी का टीला ओम के आकार में प्रकट हुआ, इसलिए इस द्वीप को ओंकारेश्वर के नाम से जाना जाने लगा।

दूसरी कहानी मांधाता और उनके पुत्र की तपस्या से संबंधित है। इक्ष्वाकु वंश के राजा मांधाता (भगवान राम के पूर्वज) ने यहां भगवान शिव की तब तक पूजा की जब तक भगवान स्वयं ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट नहीं हुए।

शास्त्रों की तीसरी कहानी कहती है कि एक बार देवताओं और दानवों (राक्षसों) के बीच एक महान युद्ध हुआ, जिसमें दानवों की जीत हुई। यह देवताओं के लिए एक बड़ा झटका था और इसलिए देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की। उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर, भगवान शिव ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए और दानवों को हराया।

ज्योतिर्लिंग दर्शन

श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का मुख्य मंदिर ऊँचे शिखर से युक्त उत्तरभारतीय वास्तुकला से बना है.यह मंदिर दर्शनार्थियों का प्रमुख आकर्षण है। मंदिर के निर्माण के विषय में कोई प्रामाणिक जानकारी नहीं है। इसे किसने बनवाया और कब यह अज्ञात है। मंदिर का गर्भ गृह मूलतः पुरानी निर्माण शैली में बने एक छोटे मंदिर के सामान लगता है। इसका गुम्बद पत्थर की परतों को जमा कर बनाया गया है। चूँकि यह छोटा मंदिर ऊंचाई पर नदी के सीधे गहरे किनारे के काफी पास दक्षिण की ओर बना है एवं उत्तर की और का बड़ा विस्तृत हिस्सा नई निर्माण शैली में बना लगता है संभवतः इसी वजह से गर्भ गृह एवं मुख्य देवता न तो मुख्य द्वार के सीधे सामने है। न ही नए निर्माण के शिखर के ठीक नीचे स्थित हैं। मंदिर में एक विशाल सभा मंडप है जो की लगभग १४ फुट ऊँचा है एवं ६० विशालकाय खम्बों पर आधारित है। मंदिर कुल मिला कर ५ मजिलों वाला है एवं सभी पर अलग अलग देवता स्थापित हैं। जो की नीचे से ऊपर की ओर क्रमश: श्री ओंकारेश्वर , श्री महाकालेश्वर, श्री सिद्धनाथ , श्री गुप्तेश्वर, एवं ध्वजाधारी शिखर देवता हैं।

स्थान: श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर भारत में मध्य प्रदेश राज्य के खंडवा जिले में नर्मदा के तट पर मांधाता या शिवपुरी द्वीप पर स्थित है। यह मध्य प्रदेश के बड़वाहा से लगभग 16 किमी दूर है

समय: हर दिन सुबह 5:00 बजे से रात 9:30 बजे तक

प्रशासन: श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का रखरखाव और प्रबंधन मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किया जाता है।

आधिकारिक वेबसाइट: https://shriomkareshwar.org

ऑनलाइन दान: https://shriomkareshwar.org/HOnlineDonation.aspx