श्री गणेश आरती

श्री गणेश आरती

श्री गणेश आरती

श्री गणेश आरती भगवान गणेश का आह्वान करती है। श्री गणेश हिन्दू धर्म में प्रथम पूजनीय भगवान हैं। इन्हें आरंभ के देवता के रूप में पूजा जाता है। कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत श्री गणेश की पूजा के बाद ही की जाती है। श्री गणेश के स्मरण मात्र से सभी कार्य निविघ्गन पूरे हो जाते है। समस्याओं के निवारण के प्रतीक के रूप में भी इनकी पूजा होती है। श्री गणेश आरती का पाठ भगवान गणेश का आह्वान करके व्यक्ति के कल्याण के बीच आने वाली हर बाधा को दूर करता है और धन, बुद्धि, सौभाग्य, समृद्धि और सभी प्रयासों में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥