सूर्य कवच
सूर्य कवच
सूर्य कवच में भगवान सूर्य की अनन्त रश्मियों की ही तरह अनन्त शक्तियाँ सन्निहित हैं। पृथ्वी पर जीवन का कारण सूर्य देव ही हैं जिनसे सभी प्राणियों को प्राण-ऊर्जा प्राप्त होती है। सभी नवग्रहों में सूर्य ग्रह को प्रमुख माना गया है और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उन्हें समस्त ग्रहों में राजा का स्थान प्राप्त है। सूर्य कवच का पाठ उन्हीं भगवान सूर्य को प्रसन्न करता है।
श्रीसूर्यध्यानम्
रक्तांबुजासनमशेषगुणैकसिन्धुं
भानुं समस्तजगतामधिपं भजामि।
पद्मद्वयाभयवरान् दधतं कराब्जैः
माणिक्यमौलिमरुणाङ्गरुचिं त्रिनेत्रम्॥
श्री सूर्यप्रणामः
जपाकुसुमसङ्काशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।
ध्वान्तारिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ॥
। याज्ञवल्क्य उवाच ।
श्रुणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम् ।
शरीरारोग्यदं दिव्यं सर्व सौभाग्यदायकम् ॥ १॥
दैदिप्यमानं मुकुटं स्फ़ुरन्मकरकुण्डलम् ।
ध्यात्वा सहस्रकिरणं स्तोत्रमेतदुदीरयेत्॥२ ॥
शिरो मे भास्करः पातु ललाटे मेSमितद्दुतिः ।
नेत्रे दिनमणिः पातु श्रवणे वासरेश्वरः ॥३ ॥
घ्राणं धर्म धृणिः पातु वदनं वेदवाहनः ।
जिह्वां मे मानदः पातु कंठं मे सुरवंदितः ॥ ४ ॥
स्कंधौ प्रभाकरं पातु वक्षः पातु जनप्रियः ।
पातु पादौ द्वादशात्मा सर्वागं सकलेश्वरः ॥५ ॥
सूर्यरक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्जपत्रके ।
दधाति यः करे तस्य वशगाः सर्वसिद्धयः ॥६ ॥
सुस्नातो यो जपेत्सम्यक् योSधीते स्वस्थ मानसः ।
स रोगमुक्तो दीर्घायुः सुखं पुष्टिं च विंदति ॥ ७ ॥
॥ इति श्री माद्याज्ञवल्क्यमुनिविरचितं सूर्यकवचस्तोत्रं संपूर्णं ॥
सूर्य कवच अर्थ:
- याज्ञवल्क्य जी बोले- हे मुनि श्रेष्ठ! सूर्य के शुभ कवच को सुनो, जो शरीर को आरोग्य देने वाला है तथा संपूर्ण दिव्य सौभाग्य को देनेवाला है।
- चमकते हुए मुकुट वाले डोलते हुए मकराकृत कुंडल वाले हजार किरण (सूर्य) को ध्यान करके यह स्तोत्र प्रारंभ करें।
- मेरे सिर की रक्षा भास्कर करें, अपरिमित कांति वाले ललाट की रक्षा करें। नेत्र (आंखों) की रक्षा दिनमणि करें तथा कान की रक्षा दिनके ईश्वर करें।
- मेरी नाक की रक्षा धर्मघृणि, मुख की रक्षा देववंदित, जिव्हा की रक्षा मानद् तथा कंठ की रक्षा देव वंदित करें।
- जो अपने स्कंध (भूजा) से प्रकाशित होते हैं, वह सूर्य भगवान मेरे स्कंध को सुरक्षित रखें। जो अपने वक्ष (छाती) से लोगों को प्रिय होतेहैं, वह सूर्य भगवान मेरी छाती को सुरक्षित रखें। जो अपने द्वादश (दो बाहुओं) से विश्व में व्याप्त होते हैं, वह सूर्य भगवान मेरे पाँवों कोसुरक्षित रखें। जो सर्वत्र सम्पूर्ण विश्व के ईश्वर हैं, वह सूर्य भगवान मुझे सम्पूर्ण शरीर में सुरक्षित रखें।
- सूर्य रक्षात्मक इस स्तोत्र को भोजपत्र में लिखकर जो हाथ में धारण करता है तो संपूर्ण सिद्धियां उसके वश में होती हैं।
- स्नान करके जो कोई स्वच्छ चित्त से कवच पाठ करता है। वह रोग से मुक्त हो जाता है, दीर्घायु होता है, सुख तथा यश प्राप्त होता है।