माता शैलपुत्री देवी स्तोत्र

माता शैलपुत्री देवी स्तोत्र

माता शैलपुत्री देवी स्तोत्र

माता शैलपुत्री देवी स्तोत्र मां दुर्गा के पहले स्वरूप ‘शैलपुत्री’ को समर्पित है। पुत्री के रूप में पर्वतराज हिमालय के घर उत्पन्न होने से  इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा । नवरात्र पूजन में प्रथम दिन इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है । इनका वाहन वृषभ है । देवी ने दाएँ हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है और बाएँ हाथ में कमल सुशोभित है।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन विधि विधान से मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं । मां शैलपुत्री अत्यंत सरल एवं सौम्य स्वभाव की हैं, और वो जीवन में आने वाली सभी विघ्न बाधाओं का अंत करती है तथा वैवाहिक जीवन खुशहाल व्यतीत होता है ।

वंदे वांच्छितलाभायाचंद्रार्धकृतशेखराम् ।
वृषारूढांशूलधरांशैलपुत्रीयशस्विनीम् ॥

 पूणेंदुनिभांगौरी मूलाधार स्थितांप्रथम दुर्गा त्रिनेत्रा ।
पटांबरपरिधानांरत्नकिरीटांनानालंकारभूषिता ॥

प्रफुल्ल वदनांपल्लवाधरांकांतकपोलांतुंग कुचाम् ।
कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखीक्षीणमध्यांनितंबनीम् ॥

!! स्तोत्र !!

 प्रथम दुर्गा त्वहिभवसागर तारणीम् ।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम् ॥

 त्रिलोकजननींत्वंहिपरमानंद प्रदीयनाम् ।
सौभाग्यारोग्यदायनीशैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम् ॥

 चराचरेश्वरीत्वंहिमहामोह विनाशिन ।
भुक्ति, मुक्ति दायनी,शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम् ॥

 चराचरेश्वरीत्वंहिमहामोह विनाशिन ।
भुक्ति, मुक्ति दायिनी शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम् ॥